ई-विद्याकोश

कक्षा - १० | विज्ञान | अध्याय - १ और २ | जाँच परीक्षा

वस्तुनिष्ट प्रश्न

किन्हीं २० प्रश्नों के उत्तर दें:

अध्याय 1: रासायनिक अभिक्रियाएँ और समीकरण

  1. किस प्रकार की अभिक्रिया में ऊष्मा निकलती है?
    1. विस्थापन
    2. उष्माक्षेपी
    3. ऊष्माशोषी
    4. द्विविस्थापन
  2. रासायनिक अभिक्रिया में पदार्थों के क्या परिवर्तन होते हैं?
    1. भौतिक
    2. रासायनिक
    3. दोनों
    4. कोई नहीं
  3. अल्कोहल का दहन होने पर कौन-सा गैस उत्पन्न होता है?
    1. ऑक्सीजन
    2. हाइड्रोजन
    3. कार्बन डाइऑक्साइड
    4. नाइट्रोजन
  4. किस रासायनिक अभिक्रिया में अवक्षेप बनता है?
    1. संयोजन
    2. अपघटन
    3. द्विविस्थापन
    4. विस्थापन
  5. आयरन (Fe) का तांबा सल्फेट (CuSO₄) के साथ अभिक्रिया करने पर क्या बनता है?
    1. आयरन सल्फेट
    2. तांबा
    3. जल
    4. दोनों (a) और (b)
  6. Mg + O₂ → MgO इस समीकरण को किस प्रकार की अभिक्रिया कहा जाएगा?
    1. विस्थापन अभिक्रिया
    2. संयोजन अभिक्रिया
    3. अपघटन अभिक्रिया
    4. द्विविस्थापन अभिक्रिया
  7. हाइड्रोजन का जल में ऑक्सीजन के साथ संयोजन करने पर क्या बनता है?
    1. H₂O
    2. H₂
    3. O₂
    4. CO₂
  8. किस रासायनिक अभिक्रिया में ऊर्जा की आवश्यकता होती है?
    1. उष्माक्षेपी
    2. ऊष्माशोषी
    3. विस्थापन
    4. संयोजन
  9. 2H₂ + O₂ → 2H₂O इस समीकरण में H₂ और O₂ क्या हैं?
    1. उत्पाद
    2. अभिकारक
    3. दोनों
    4. कोई नहीं
  10. किस प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉनों का नुकसान होता है?
    1. ऑक्सीकरण
    2. अपचयन
    3. दहन
    4. विघटन

    अध्याय 2: अम्ल, क्षारक और लवण

  11. कौन-सा एक उदासीन लवण है?
    1. NaCl
    2. CH₃COONa
    3. NH₄Cl
    4. Ca(OH)₂
  12. पीएच स्केल में सबसे अधिक अम्लीय पदार्थ का पीएच कितना होता है?
    1. 14
    2. 7
    3. 0
    4. 1
  13. साबुन का पीएच मान कितना होता है?
    1. 7
    2. 10
    3. 14
    4. 2
  14. अम्ल वर्षा में कौन-सा अम्ल प्रमुख रूप से होता है?
    1. नाइट्रिक अम्ल
    2. सल्फ्यूरिक अम्ल
    3. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
    4. कार्बनिक अम्ल
  15. किस अम्ल का उपयोग बैटरी में होता है?
    1. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
    2. सल्फ्यूरिक अम्ल
    3. नाइट्रिक अम्ल
    4. एसिटिक अम्ल
  16. NaOH का पानी में घुलने पर क्या बनता है?
    1. अम्ल
    2. क्षारक
    3. लवण
    4. कोई नहीं
  17. पीएच स्केल में, 7 से अधिक पीएच का मान किसे दर्शाता है?
    1. अम्लीयता
    2. क्षारीयता
    3. उदासीनता
    4. कोई नहीं
  18. कौन-सा एक क्षारक नहीं है?
    1. NaOH
    2. KOH
    3. HCl
    4. Ca(OH)₂
  19. लाइम वाटर का रासायनिक नाम क्या है?
    1. Ca(OH)₂
    2. NaOH
    3. KOH
    4. H₂SO₄
  20. HCl + NaOH → NaCl + H₂O किस प्रकार की अभिक्रिया है?
    1. विस्थापन अभिक्रिया
    2. संयोजन अभिक्रिया
    3. तटस्थीकरण अभिक्रिया
    4. अपघटन अभिक्रिया

    अध्याय 1: रासायनिक अभिक्रियाएँ और समीकरण

  21. कौन-सी अभिक्रिया में एक ही अभिकारक से दो या अधिक उत्पाद बनते हैं?
    1. संयोजन
    2. अपघटन
    3. विस्थापन
    4. द्विविस्थापन
  22. Zn + H₂SO₄ → ZnSO₄ + H₂ इस अभिक्रिया में Zn किसे विस्थापित करता है?
    1. हाइड्रोजन
    2. सल्फर
    3. ऑक्सीजन
    4. हाइड्रोक्साइड
  23. रासायनिक समीकरण को संतुलित करते समय, अभिकारकों और उत्पादों के समीकरण में क्या स्थिर रहता है?
    1. अणुओं की संख्या
    2. परमाणुओं की संख्या
    3. द्रव्यमान
    4. ऊर्जा
  24. CaO + H₂O → Ca(OH)₂ इस अभिक्रिया को क्या कहा जाता है?
    1. विस्थापन अभिक्रिया
    2. संयोजन अभिक्रिया
    3. अपघटन अभिक्रिया
    4. द्विविस्थापन अभिक्रिया
  25. Fe₂O₃ + 2Al → 2Fe + Al₂O₃ इस अभिक्रिया का उपयोग किसमें किया जाता है?
    1. थर्माइट वेल्डिंग
    2. धातु के परिशोधन में
    3. विस्फोटक बनाने में
    4. उर्वरक बनाने में
  26. AgNO₃ + NaCl → AgCl + NaNO₃ इस अभिक्रिया में क्या बनता है?
    1. धातु
    2. अवक्षेप
    3. गैस
    4. जल
  27. कौन-सा रासायनिक समीकरण संतुलित है?
    1. H₂ + O₂ → H₂O
    2. 2H₂ + O₂ → 2H₂O
    3. H₂ + 2O₂ → H₂O₂
    4. H₂ + O → H₂O
  28. कौन-सा धातु आग के संपर्क में आते ही जल उठता है?
    1. सोडियम
    2. पोटैशियम
    3. मैग्नीशियम
    4. कैल्शियम
  29. कौन-सी अभिक्रिया में अभिकारक और उत्पाद की ऊर्जा समान होती है?
    1. उष्माशोषी
    2. उष्माक्षेपी
    3. तटस्थ
    4. संयोजन
  30. किस अभिक्रिया में ऊर्जा की आवश्यकता होती है?**
    1. उष्माक्षेपी
    2. ऊष्माशोषी
    3. विस्थापन
    4. द्विविस्थापन

    अध्याय 2: अम्ल, क्षारक और लवण

  31. कौन-सा रासायनिक सूत्र एक अम्ल का है?
    1. NaOH
    2. KOH
    3. H₂SO₄
    4. Ca(OH)₂
  32. कौन-सा अम्ल पेट में पाया जाता है?
    1. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
    2. सल्फ्यूरिक अम्ल
    3. नाइट्रिक अम्ल
    4. एसिटिक अम्ल
  33. किस क्षारक का उपयोग ब्लीचिंग पाउडर बनाने में किया जाता है?
    1. NaOH
    2. KOH
    3. Ca(OH)₂
    4. NH₄OH
  34. लवण के किस प्रकार में कोई हाइड्रोजन आयन (H⁺) नहीं होता है?
    1. अम्लीय लवण
    2. क्षारीय लवण
    3. तटस्थ लवण
    4. बुनियादी लवण
  35. कौन-सा अम्ल नींबू में पाया जाता है?
    1. एसिटिक अम्ल
    2. साइट्रिक अम्ल
    3. लैक्टिक अम्ल
    4. टार्टरिक अम्ल
  36. पीएच स्केल का कौन-सा मान उदासीनता दर्शाता है?
    1. 0
    2. 7
    3. 14
    4. 10
  37. किस रासायनिक पदार्थ का उपयोग पेट की अम्लता को कम करने के लिए किया जाता है?
    1. NaCl
    2. NaOH
    3. Mg(OH)₂
    4. HCl
  38. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का पीएच मान क्या होता है?
    1. 7
    2. 1
    3. 13
    4. 10
  39. कौन-सा एक क्षारक पानी में नहीं घुलता?
    1. NaOH
    2. KOH
    3. Ca(OH)₂
    4. NH₄OH
  40. तटस्थीकरण अभिक्रिया का सामान्य उत्पाद क्या होता है?
    1. अम्ल
    2. क्षारक
    3. लवण और जल
    4. कार्बन डाइऑक्साइड

निम्नलिखित रासायनिक समीकरणों को संतुलित करें।

किन्ही १० प्रश्नों का उत्तर दें:

  1. \( \text{H}_2 + \text{O}_2 \rightarrow \text{H}_2\text{O} \)
  2. \( \text{Fe} + \text{Cl}_2 \rightarrow \text{FeCl}_3 \)
  3. \( \text{N}_2 + \text{H}_2 \rightarrow \text{NH}_3 \)
  4. \( \text{CaCO}_3 \rightarrow \text{CaO} + \text{CO}_2 \)
  5. \( \text{C}_4\text{H}_{10} + \text{O}_2 \rightarrow \text{CO}_2 + \text{H}_2\text{O} \)
  6. \( \text{Mg} + \text{HCl} \rightarrow \text{MgCl}_2 + \text{H}_2 \)
  7. \( \text{Al} + \text{H}_2\text{SO}_4 \rightarrow \text{Al}_2\text{(SO}_4)_3 + \text{H}_2 \)
  8. \( \text{Na} + \text{H}_2\text{O} \rightarrow \text{NaOH} + \text{H}_2 \)
  9. \( \text{Pb(NO}_3)_2 \rightarrow \text{PbO} + \text{NO}_2 + \text{O}_2 \)
  10. \( \text{C}_2\text{H}_5\text{OH} + \text{O}_2 \rightarrow \text{CO}_2 + \text{H}_2\text{O} \)
  11. \( \text{KClO}_3 \rightarrow \text{KCl} + \text{O}_2 \)
  12. \( \text{Fe}_2\text{O}_3 + \text{C} \rightarrow \text{Fe} + \text{CO}_2 \)
  13. \( \text{K}_2\text{Cr}_2\text{O}_7 + \text{HCl} \rightarrow \text{KCl} + \text{CrCl}_3 + \text{Cl}_2 + \text{H}_2\text{O} \)
  14. \( \text{C}_3\text{H}_8 + \text{O}_2 \rightarrow \text{CO}_2 + \text{H}_2\text{O} \)
  15. \( \text{NH}_3 + \text{O}_2 \rightarrow \text{NO} + \text{H}_2\text{O} \)

किन्हीं ३ प्रश्नों का उत्तर दें:

अध्याय 1: रासायनिक अभिक्रियाएँ और समीकरण

  1. रासायनिक अभिक्रिया क्या होती है? उदाहरण सहित समझाइए।
  2. अवक्षेपण अभिक्रिया क्या है? इसे रासायनिक समीकरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
  3. जिन्हें लिखित रासायनिक समीकरण में संतुलन क्यों किया जाता है? संतुलित रासायनिक समीकरण का उदाहरण दीजिए।
  4. विस्थापन अभिक्रिया और द्विविस्थापन अभिक्रिया में क्या अंतर है? उदाहरण सहित समझाइए।
  5. अक्सीकरण और अपचयन क्या होते हैं? एक उदाहरण के साथ समझाइए।

अध्याय 2: अम्ल, क्षारक और लवण

  1. अम्ल और क्षारक के गुणधर्मों को उदाहरण सहित समझाइए।
  2. पीएच मान क्या होता है? पीएच पैमाने का महत्व बताइए।
  3. अम्लों और क्षारकों के साथ धातुओं की अभिक्रिया पर प्रकाश डालिए।
  4. लवण का निर्माण कैसे होता है? लवण के दो उदाहरण दीजिए और उनके उपयोग बताइए।
  5. अम्ल वर्षा क्या है? यह कैसे होती है और इसके क्या प्रभाव होते हैं?

यूरोप में राष्ट्रवाद । अध्याय - 1 । कक्षा - 10: इतिहास । बिहार बोर्ड

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

1. राष्ट्रवाद क्या है?

राष्ट्रवाद एक विचारधारा है जो एक राष्ट्र के लोगों के बीच साझा सांस्कृतिक, भाषाई, ऐतिहासिक, और भौगोलिक विशेषताओं के आधार पर एकता और पहचान की भावना को प्रोत्साहित करती है। इसका उद्देश्य एक स्वतंत्र राष्ट्र-राज्य का गठन करना और उसे बनाए रखना होता है।

राष्ट्रवाद का उदय 19वीं शताब्दी में हुआ, विशेषकर यूरोप में, जहां लोगों ने अपनी राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने और विदेशी शासन से मुक्ति पाने की मांग की। राष्ट्रवाद के प्रभाव से अनेक राष्ट्रीय आंदोलन उभरे और कई देशों ने स्वतंत्रता हासिल की।

इस संदर्भ में, राष्ट्रवाद एक सामूहिक भावना है जो लोगों को एकजुट करती है और उन्हें अपनी स्वतंत्रता, संस्कृति, और परंपराओं की रक्षा के लिए प्रेरित करती है।

2. मेजनी कौन था?

मेज़िनी (Giuseppe Mazzini) इटली के एक प्रमुख क्रांतिकारी और राष्ट्रवादी नेता थे। उनका जन्म 1805 में इटली में हुआ था। उन्होंने "यंग इटली" नामक संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य इटली को विदेशी शासन से मुक्त कराना और उसे एक एकीकृत, स्वतंत्र और लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में स्थापित करना था।

मेज़िनी ने इटली के विभिन्न हिस्सों में क्रांतिकारी गतिविधियों को संगठित किया और उनके विचारों ने इटली और यूरोप के अन्य हिस्सों में राष्ट्रवादी आंदोलनों को प्रेरित किया। उन्हें आधुनिक इटली के "पिता" के रूप में भी माना जाता है क्योंकि उनकी विचारधारा और प्रयासों ने इटली के एकीकरण की नींव रखी।

मेज़िनी का राष्ट्रवाद एक समावेशी और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण पर आधारित था, जहां उन्होंने नागरिक स्वतंत्रता और मानव अधिकारों पर जोर दिया। उनके विचार और क्रियाकलाप पूरे यूरोप में राष्ट्रीय आंदोलनों के लिए प्रेरणा बने।

3. जर्मनी के एकीकरण की बाधाएँ क्या थीं?

जर्मनी के एकीकरण की बाधाएँ कई थीं, जिनमें प्रमुख निम्नलिखित थीं:

  • राजनैतिक विभाजन: 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में जर्मनी कई छोटे-छोटे राज्यों और रियासतों में बँटा हुआ था, जिनकी अपनी-अपनी सरकारें और कानून थे। यह विभाजन एकीकृत जर्मनी बनाने में सबसे बड़ी बाधा था।
  • प्रुशिया और ऑस्ट्रिया के बीच प्रतिस्पर्धा: प्रुशिया और ऑस्ट्रिया दोनों ही जर्मन राज्यों पर प्रभुत्व जमाना चाहते थे। इनकी आपसी प्रतिस्पर्धा ने जर्मनी के एकीकरण को मुश्किल बना दिया।
  • विदेशी हस्तक्षेप: फ्रांस और अन्य यूरोपीय शक्तियाँ जर्मनी के एकीकरण को रोकने के लिए हस्तक्षेप करती थीं, क्योंकि एकीकृत जर्मनी उनके लिए एक बड़ा खतरा हो सकता था।
  • धार्मिक विभाजन: जर्मनी के विभिन्न राज्यों में कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट धर्म के अनुयायी रहते थे, जिससे एकीकरण की प्रक्रिया में धर्म के आधार पर भी बाधाएँ उत्पन्न हुईं।
  • आर्थिक और सांस्कृतिक विविधता: जर्मनी के विभिन्न राज्यों की आर्थिक और सांस्कृतिक स्थितियाँ अलग-अलग थीं, जिससे एक समान राष्ट्रीय पहचान बनाना मुश्किल था।

इन बाधाओं के बावजूद, ओटो वॉन बिस्मार्क के नेतृत्व में प्रुशिया ने जर्मनी के एकीकरण को सफलतापूर्वक पूरा किया।

4. मेटरनिक युग क्या है?

मेटरनिक युग (Metternich Era) 1815 से 1848 तक का समय है, जब ऑस्ट्रिया के राजनेता क्लेमेन्स वॉन मेटरनिक का यूरोप की राजनीति पर गहरा प्रभाव था। यह युग विशेष रूप से ऑस्ट्रिया और यूरोप में प्रतिक्रियावादी नीतियों और क्रांतिकारी विचारों के दमन के लिए जाना जाता है।

मेटरनिक ने यूरोप में शांति बनाए रखने और पुरानी व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए कंजरवेटिव नीतियों को बढ़ावा दिया। उन्होंने किसी भी प्रकार के उदारवादी या राष्ट्रीय आंदोलन को दबाने की कोशिश की, जिससे यूरोप में शांति बनी रहे और सत्ता संतुलन कायम रहे।

मेटरनिक युग का अंत 1848 की क्रांतियों के साथ हुआ, जब यूरोप के विभिन्न हिस्सों में व्यापक क्रांति और विद्रोह हुए, जिसने प्रतिक्रियावादी नीतियों को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।

french revolution

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. 1848 के फ्रांसीसी क्रांति के कारण क्या थें?

1848 की फ्रांसीसी क्रांति के कई प्रमुख कारण थे, जो आर्थिक, सामाजिक, और राजनीतिक असंतोष से जुड़े थे:

  • आर्थिक संकट: 1840 के दशक में फ्रांस गंभीर आर्थिक मंदी का सामना कर रहा था। कृषि उत्पादन में गिरावट और औद्योगिक मंदी के कारण बेरोजगारी और गरीबी में वृद्धि हुई। यह आर्थिक संकट जनता के बीच असंतोष का मुख्य कारण बना।
  • सामाजिक असमानता: फ्रांस में धन और संसाधनों का असमान वितरण था। समाज का एक बड़ा हिस्सा गरीबी और भूख से जूझ रहा था, जबकि अमीर वर्ग विलासिता का जीवन बिता रहा था। यह सामाजिक असमानता लोगों के विद्रोह का कारण बनी।
  • राजनीतिक असंतोष: किंग लुई-फिलिप के शासनकाल में लोकतांत्रिक सुधारों की कमी और जनता की राजनीतिक भागीदारी को नकारा जाना भी क्रांति का एक प्रमुख कारण था। लोगों को अपने अधिकारों की मांग करने और सत्ता में बदलाव की आवश्यकता महसूस होने लगी।
  • राष्ट्रीय भावना और उदारवादी विचारधारा: 1848 में पूरे यूरोप में राष्ट्रीयता और उदारवाद का उदय हो रहा था। फ्रांस में भी लोग इन विचारों से प्रभावित होकर स्वतंत्रता, समानता, और भाईचारे की मांग कर रहे थे।
  • अखबारों और बैठकों पर प्रतिबंध: जनता की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने के लिए सरकार ने अखबारों और राजनीतिक बैठकों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसने लोगों के असंतोष को और बढ़ा दिया और क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया।

इन सभी कारणों ने मिलकर 1848 में फ्रांसीसी क्रांति की नींव रखी, जिसके परिणामस्वरूप लुई-फिलिप का पतन हुआ और द्वितीय फ्रांसीसी गणराज्य की स्थापना हुई।

2. इटली, जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया की क्या भूमिका थी?

इटली और जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया की भूमिका विरोधात्मक और बाधात्मक थी। ऑस्ट्रिया उस समय एक प्रमुख शक्ति थी और वह इटली और जर्मनी के छोटे-छोटे राज्यों पर अपना प्रभाव बनाए रखना चाहता था।

इटली के एकीकरण में ऑस्ट्रिया की भूमिका:

  • विरोध: ऑस्ट्रिया ने इटली के एकीकरण का कड़ा विरोध किया। ऑस्ट्रिया के पास इटली के उत्तरी भागों, विशेष रूप से लोम्बार्डी और वेनिस, पर सीधा नियंत्रण था।
  • युद्ध: इटली के राष्ट्रवादियों और क्रांतिकारियों ने ऑस्ट्रिया के खिलाफ कई युद्ध छेड़े, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण 1859 का फ्रेंको-पीडमोंट युद्ध था, जिसमें फ्रांस की सहायता से इटली ने ऑस्ट्रिया से लोम्बार्डी प्राप्त किया।
  • राजनीतिक बाधाएँ: ऑस्ट्रिया ने इटली के एकीकरण को रोकने के लिए विभाजन की नीति अपनाई, जिससे इटली के राज्यों को एकजुट होने में कठिनाई हुई।

जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया की भूमिका:

  • विरोध: जर्मनी के एकीकरण के प्रयासों में ऑस्ट्रिया प्रमुख बाधा थी। ऑस्ट्रिया और प्रुशिया, दोनों ही जर्मन राज्यों पर प्रभुत्व चाहते थे।
  • ऑस्ट्रो-प्रशियन युद्ध (1866): प्रुशिया और ऑस्ट्रिया के बीच हुए इस युद्ध में प्रुशिया की जीत ने ऑस्ट्रिया के प्रभाव को खत्म कर दिया और उत्तरी जर्मनी के राज्यों को प्रुशिया के नेतृत्व में एकजुट करने का मार्ग प्रशस्त किया।
  • राजनीतिक प्रतिस्पर्धा: ऑस्ट्रिया ने जर्मनी के एकीकरण को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन अंततः उसे हार का सामना करना पड़ा और जर्मनी का एकीकरण प्रुशिया के नेतृत्व में हुआ, जिसमें ऑस्ट्रिया का कोई योगदान नहीं था।

ऑस्ट्रिया ने दोनों देशों के एकीकरण में मुख्यतः विरोधी भूमिका निभाई, लेकिन अंततः उसे पराजय का सामना करना पड़ा और इटली और जर्मनी ने अपना एकीकरण पूरा किया।

3. यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट किस तरह सहायक हुआ?

नेपोलियन बोनापार्ट ने यूरोप में राष्ट्रवाद के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, हालांकि उनका उद्देश्य शुरू में केवल फ्रांस की शक्ति और प्रभाव को बढ़ाना था। उनकी नीतियों और युद्ध अभियानों ने अप्रत्यक्ष रूप से पूरे यूरोप में राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रोत्साहित किया। उनकी भूमिका को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

  • नेपोलियन संहिता (Napoleonic Code): नेपोलियन ने अपने अधीनस्थ क्षेत्रों में नेपोलियन संहिता लागू की, जिसने सामंती व्यवस्थाओं को समाप्त किया और कानूनी समानता, संपत्ति के अधिकार, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के सिद्धांतों को स्थापित किया। इसने यूरोप के विभिन्न हिस्सों में उदारवादी और राष्ट्रवादी विचारों को बल दिया।
  • यूरोप का पुनर्गठन: नेपोलियन ने यूरोप के नक्शे को पुनर्गठित किया, जिससे कई छोटे-छोटे राज्यों को एकीकृत किया गया और उनकी स्वतंत्रता को समाप्त कर दिया गया। इसने इन क्षेत्रों में राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता की भावना को प्रेरित किया।
  • विदेशी शासन के खिलाफ विद्रोह: नेपोलियन के युद्धों ने यूरोप के विभिन्न देशों में विदेशी शासन और वर्चस्व के खिलाफ विद्रोह और प्रतिरोध को बढ़ावा दिया। जैसे-जैसे नेपोलियन के साम्राज्य का विस्तार हुआ, वैसे-वैसे उन क्षेत्रों में राष्ट्रवादी आंदोलन भी तेज़ हुए, जो विदेशी शासन से मुक्ति चाहते थे।
  • फ्रांस के आदर्शों का प्रसार: फ्रांसीसी क्रांति के "स्वतंत्रता, समानता, और बंधुत्व" (Liberty, Equality, Fraternity) के आदर्शों को नेपोलियन ने अपने अभियानों के माध्यम से पूरे यूरोप में फैलाया। ये आदर्श विभिन्न यूरोपीय देशों के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने और राष्ट्रवाद की भावना को प्रबल किया।
  • नेपोलियन का पतन और प्रतिक्रियावादी प्रतिक्रियाएँ: नेपोलियन की हार के बाद यूरोप में प्रतिक्रियावादी शक्तियों ने पुरानी व्यवस्था को बहाल करने की कोशिश की, लेकिन इसने केवल राष्ट्रवादी और उदारवादी आंदोलनों को और मजबूत किया, क्योंकि लोगों ने स्वतंत्रता और राष्ट्रीय एकता के लिए संघर्ष करना शुरू कर दिया।

इस प्रकार, नेपोलियन बोनापार्ट की कार्रवाइयाँ, चाहे अनजाने में ही सही, यूरोप में राष्ट्रवादी भावनाओं के उभार में सहायक सिद्ध हुईं। उन्होंने न केवल फ्रांस में बल्कि पूरे यूरोप में राष्ट्रवाद के बीज बोए, जो 19वीं शताब्दी में विभिन्न राष्ट्रों के एकीकरण और स्वतंत्रता आंदोलनों का आधार बने।

4. गैरीबाल्डी के कार्यों की चर्चा करें?

गैरीबाल्डी (Giuseppe Garibaldi) इटली के एक प्रमुख क्रांतिकारी और राष्ट्रवादी नेता थे, जिनके कार्यों ने इटली के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रमुख कार्यों की चर्चा इस प्रकार की जा सकती है:

  • यंग इटली आंदोलन में योगदान: गैरीबाल्डी ने इटली के एकीकरण के समर्थक आंदोलन "यंग इटली" में शामिल होकर इटली को विदेशी शासन से मुक्त कराने के प्रयास किए। उन्होंने इस संगठन के माध्यम से इटली के विभिन्न हिस्सों में राष्ट्रवाद का प्रचार किया।
  • सैन्य अभियानों का नेतृत्व: गैरीबाल्डी को उनके साहसी और कुशल सैन्य नेतृत्व के लिए जाना जाता है। उन्होंने कई महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया, जिनमें 1860 का "रेड शर्ट्स" अभियान (Expedition of the Thousand) प्रमुख था। इस अभियान में उन्होंने सिसिली और नेपल्स के क्षेत्रों को मुक्त कराया और उन्हें इटली के एकीकरण में शामिल किया।
  • दक्षिणी इटली का एकीकरण: गैरीबाल्डी ने दक्षिणी इटली के प्रमुख हिस्सों को एकजुट करने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने सिसिली और नेपल्स के राजा के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया और इन क्षेत्रों को इटली के नए राज्य में शामिल किया।
  • ाजनीतिक और सामाजिक सुधार: गैरीबाल्डी ने न केवल सैन्य मोर्चे पर बल्कि राजनीतिक और सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में भी योगदान दिया। उन्होंने लोकतंत्र, समानता, और सामाजिक न्याय के लिए प्रयास किया और इन आदर्शों को इटली के एकीकरण आंदोलन में शामिल किया।
  • इटली के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका: गैरीबाल्डी का इटली के एकीकरण में योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने विक्टर इमैनुएल II के नेतृत्व में इटली के एकीकरण को समर्थन दिया और स्वयं को सत्ता से दूर रखा, ताकि इटली एकजुट हो सके।

गैरीबाल्डी को "इटली का नायक" कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन को इटली के एकीकरण और स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया। उनके कार्यों ने न केवल इटली के एकीकरण में योगदान दिया, बल्कि उन्हें एक महान क्रांतिकारी और राष्ट्रवादी नेता के रूप में प्रतिष्ठित किया।

5. विलियम - I के बगैर जर्मनी का एकीकरण विस्मार्क के लिए असंभव था कैसे?

विलियम - I (William - I) और ओटो वॉन बिस्मार्क (Otto von Bismarck) दोनों की भूमिका जर्मनी के एकीकरण में महत्वपूर्ण थी, और यह कहना सही होगा कि विलियम I के बिना बिस्मार्क के लिए जर्मनी का एकीकरण असंभव हो सकता था। इसके कुछ कारण निम्नलिखित हैं:

  • राजनैतिक समर्थन: विलियम I, प्रुशिया के राजा थे और उन्होंने बिस्मार्क को अपने प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया। बिस्मार्क के पास जर्मनी को एकीकृत करने की योजना थी, लेकिन इसे लागू करने के लिए उन्हें राजा का पूरा समर्थन चाहिए था। विलियम I ने बिस्मार्क की नीतियों और सैन्य अभियानों को पूरा समर्थन दिया, जिससे बिस्मार्क को अपनी योजनाओं को लागू करने में मदद मिली।
  • सैन्य शक्ति का समर्थन: विलियम I ने प्रुशिया की सेना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो जर्मनी के एकीकरण के लिए आवश्यक थी। बिस्मार्क ने तीन प्रमुख युद्धों (डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, और फ्रांस के खिलाफ) का नेतृत्व किया, लेकिन ये सभी युद्ध प्रुशिया की सेना के बिना सफल नहीं हो सकते थे, जिसे विलियम I ने मजबूत किया था।
  • राजशाही का वैधता: विलियम - I ने जर्मन राजाओं और अन्य शासकों को एकीकृत जर्मनी के विचार को स्वीकार करने के लिए राजी किया। बिस्मार्क की योजनाएँ प्रभावी थीं, लेकिन विलियम I की वैधता और प्रतिष्ठा ने जर्मनी के विभिन्न राज्यों को इस एकीकरण को स्वीकार करने में मदद की।
  • विलियम - I का सम्राट बनना: 1871 में जर्मनी के एकीकरण के बाद, विलियम I को नए जर्मन साम्राज्य का सम्राट (कैसर) घोषित किया गया। बिस्मार्क ने राजनीतिक और कूटनीतिक योजनाओं को अंजाम दिया, लेकिन विलियम I के नेतृत्व के बिना, एकीकृत जर्मनी के विचार को मूर्त रूप देना संभव नहीं होता।

इसलिए, विलियम I के बिना, बिस्मार्क के लिए जर्मनी का एकीकरण एक चुनौतीपूर्ण और शायद असंभव कार्य हो सकता था। दोनों ने मिलकर इस ऐतिहासिक कार्य को सफलतापूर्वक पूरा किया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. इटली के एकीकरण में मेजनी, कबुर और गैरीबाल्डी के योगदानों को बतावे?

इटली के एकीकरण में मेज़िनी, कबूर, और गैरीबाल्डी के योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण थे। इन तीनों नेताओं ने इटली को एक स्वतंत्र और एकीकृत राष्ट्र बनाने में अलग-अलग लेकिन महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं।

ज्यूसेपे मेज़िनी (Giuseppe Mazzini)

  • राष्ट्रवादी विचारधारा का प्रचार: मेज़िनी को आधुनिक इटली के राष्ट्रवाद का जनक माना जाता है। उन्होंने "यंग इटली" (Giovine Italia) नामक संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य इटली को एक स्वतंत्र, एकीकृत, और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाना था।
  • युवा पीढ़ी को प्रेरित करना: मेज़िनी ने अपने लेखन और भाषणों के माध्यम से इटली के युवाओं को राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया। उनका मानना था कि इटली के एकीकरण का काम युवाओं के कंधों पर है, और उनके विचारों ने पूरे देश में राष्ट्रवादी भावना को जगाया।
  • क्रांतिकारी आंदोलनों का नेतृत्व: मेज़िनी ने कई क्रांतिकारी आंदोलनों का नेतृत्व किया, हालांकि इनमें से कई असफल रहे। फिर भी, उन्होंने इटली के लोगों में स्वतंत्रता और एकता के लिए संघर्ष करने का जज़्बा पैदा किया।

काउंट कैमिलो डी कबूर (Count Camillo di Cavour)

  • कूटनीतिक रणनीति: कबूर, जो कि सार्डिनिया के प्रधानमंत्री थे, ने इटली के एकीकरण में कूटनीतिक मार्ग अपनाया। उन्होंने सार्डिनिया को इटली के एकीकरण का आधार बनाने के लिए फ्रांस और ब्रिटेन के साथ गठबंधन किया।
  • अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाना: कबूर ने फ्रांस के सम्राट नेपोलियन III के साथ एक समझौता किया, जिसके परिणामस्वरूप 1859 में ऑस्ट्रिया के खिलाफ युद्ध में सार्डिनिया को सफलता मिली। इस युद्ध ने इटली के उत्तरी हिस्सों को एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • आधुनिकता और आर्थिक विकास: कबूर ने इटली में आर्थिक और सामाजिक सुधारों की शुरुआत की, जिससे इटली के एकीकरण के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हुआ। उन्होंने इटली के विभिन्न राज्यों को एकीकृत करने के लिए तार्किक और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया।

ज्यूसेपे गैरीबाल्डी (Giuseppe Garibaldi)

  • सैन्य नेतृत्व: गैरीबाल्डी को एक महान सैन्य नेता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने "रेड शर्ट्स" नामक स्वयंसेवी सेना का नेतृत्व किया और 1860 में सिसिली और नेपल्स को सार्डिनिया के राज्य में शामिल किया।
  • दक्षिणी इटली का एकीकरण: गैरीबाल्डी के सैन्य अभियानों ने दक्षिणी इटली के क्षेत्रों को मुक्त कराया और उन्हें एकीकृत इटली का हिस्सा बनाया। उनका साहसिक नेतृत्व और सैन्य अभियानों ने इटली के एकीकरण को गति दी।
  • राजनैतिक त्याग: गैरीबाल्डी ने विक्टर इमैनुएल - II के नेतृत्व में इटली को एकीकृत करने के लिए अपनी महत्वाकांक्षाओं को त्याग दिया। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत सत्ता की आकांक्षाओं को छोड़ते हुए इटली के एकीकरण में योगदान दिया।

सारांश

मेज़िनी ने राष्ट्रवादी विचारधारा और जन जागरण के माध्यम से इटली के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त किया। कबूर ने कूटनीतिक और राजनीतिक प्रयासों के माध्यम से इटली के विभिन्न हिस्सों को एकजुट करने में सफलता प्राप्त की, जबकि गैरीबाल्डी ने सैन्य अभियानों के माध्यम से इटली के दक्षिणी हिस्सों को एकीकृत किया। इन तीनों के सामूहिक प्रयासों ने इटली को एक स्वतंत्र और एकीकृत राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।

2. जर्मनी के एकीकरण में विस्मार्क की भूमिका का वर्णन करें।

ओटो वॉन बिस्मार्क (Otto von Bismarck) जर्मनी के एकीकरण में सबसे महत्वपूर्ण और केंद्रीय व्यक्तित्व थे। बिस्मार्क की कुशल कूटनीति, रणनीतिक सोच, और सैन्य शक्ति के प्रभावी उपयोग ने जर्मनी को एक एकीकृत राष्ट्र बनाने में मुख्य भूमिका निभाई। उनके कार्यों और नीतियों का वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है:

  1. रक्त और लोहे की नीति (Blood and Iron Policy)
    • बिस्मार्क का मानना था कि जर्मनी का एकीकरण केवल भाषणों और वोटों से संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए सैन्य शक्ति और युद्ध की आवश्यकता है। उन्होंने "रक्त और लोहे" की नीति अपनाई, जिसमें उन्होंने युद्ध और सैन्य बल का प्रयोग करके जर्मनी के विभिन्न राज्यों को एकजुट किया।
  2. तीन निर्णायक युद्ध
    • बिस्मार्क ने जर्मनी के एकीकरण के लिए तीन प्रमुख युद्धों का नेतृत्व किया:
    • डेनमार्क के खिलाफ युद्ध (1864): बिस्मार्क ने ऑस्ट्रिया के साथ मिलकर डेनमार्क के खिलाफ युद्ध छेड़ा और श्लेस्विग और होल्स्टीन के डचियों पर अधिकार कर लिया। यह जर्मनी के एकीकरण की दिशा में पहला कदम था।
    • ऑस्ट्रिया के खिलाफ युद्ध (1866): ऑस्ट्रो-प्रशियन युद्ध, जिसे "सात सप्ताह का युद्ध" भी कहा जाता है, में बिस्मार्क ने प्रुशिया को विजयी बनाया। इस युद्ध में ऑस्ट्रिया को हराकर बिस्मार्क ने उत्तरी जर्मनी के राज्यों को प्रुशिया के नेतृत्व में एकजुट किया और उत्तरी जर्मन परिसंघ की स्थापना की।
    • फ्रांस के खिलाफ युद्ध (1870-71): फ्रांको-प्रशियन युद्ध बिस्मार्क की अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक चाल थी। इस युद्ध में फ्रांस की हार ने जर्मनी के सभी राज्यों को एकजुट होने के लिए प्रेरित किया, और बिस्मार्क ने इसका उपयोग करके जर्मनी का एकीकरण पूरा किया।
  3. कूटनीति और गठबंधन
    • बिस्मार्क ने कूटनीति का कुशल उपयोग किया। उन्होंने ऑस्ट्रिया को अलग-थलग करने और फ्रांस को युद्ध में उलझाने के लिए गठबंधन और रणनीतिक चालें चलीं। बिस्मार्क ने सावधानीपूर्वक राजनयिक संबंधों का निर्माण किया, जिससे जर्मनी के विरोधियों को कमजोर करने में मदद मिली।
  4. समान जर्मन पहचान का निर्माण
    • बिस्मार्क ने जर्मन राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया और एक मजबूत, एकीकृत जर्मन पहचान का निर्माण किया। उन्होंने राजनीतिक और सांस्कृतिक नीतियों को लागू किया जिससे प्रुशिया के नेतृत्व में जर्मन राज्यों के बीच एकता स्थापित हुई।
  5. विलियम I के समर्थन का उपयोग
    • बिस्मार्क ने प्रुशिया के राजा विलियम I का समर्थन प्राप्त किया और उन्हें जर्मन साम्राज्य के सम्राट (कैसर) के रूप में स्थापित किया। यह राजनीतिक चाल बिस्मार्क की योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी, जिसने जर्मनी के एकीकरण को वैधता प्रदान की।
  6. जर्मन साम्राज्य की स्थापना (1871)
    • बिस्मार्क के नेतृत्व में, 18 जनवरी 1871 को वर्साय के महल में जर्मन साम्राज्य की घोषणा की गई। विलियम I को नए साम्राज्य का सम्राट घोषित किया गया, और बिस्मार्क को चांसलर बनाया गया। यह जर्मनी के एकीकरण का अंतिम और निर्णायक क्षण था।

सारांश

बिस्मार्क की कुशल कूटनीति, निर्णायक सैन्य अभियान, और राजनीतिक चतुराई ने जर्मनी को एकीकृत किया। उन्होंने जर्मन राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित किया और प्रुशिया के नेतृत्व में एक शक्तिशाली और एकीकृत जर्मन साम्राज्य का निर्माण किया। बिस्मार्क का योगदान जर्मनी के इतिहास में अविस्मरणीय है, और उन्हें जर्मनी के "आयरन चांसलर" के रूप में जाना जाता है।

3. राष्ट्रवाद के उदय के कारणों एवं प्रभाव की चर्चा करें।

राष्ट्रवाद का उदय 19वीं शताब्दी में एक महत्वपूर्ण सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक आंदोलन के रूप में हुआ। राष्ट्रवाद की भावना ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोगों को एकजुट किया और उन्हें स्वतंत्रता, समानता, और राष्ट्रीय एकता के लिए प्रेरित किया। इसके उदय के कारण और प्रभाव को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

राष्ट्रवाद के उदय के कारण

  1. फ्रांसीसी क्रांति और इसके आदर्श: 1789 की फ्रांसीसी क्रांति ने स्वतंत्रता, समानता, और बंधुत्व के आदर्शों को बढ़ावा दिया। इन आदर्शों ने यूरोप और अन्य हिस्सों में राष्ट्रवाद की भावना को जन्म दिया, जहां लोगों ने स्वतंत्रता और राष्ट्रीय एकता के लिए संघर्ष करना शुरू किया।
  2. नेपोलियन बोनापार्ट की विजय: नेपोलियन ने यूरोप में विभिन्न क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की और वहां पर फ्रांसीसी कानून और प्रशासन लागू किए। यह विदेशी शासन ने राष्ट्रीय पहचान को कमजोर किया, जिससे स्थानीय लोगों में अपनी स्वतंत्रता और राष्ट्रीय पहचान के प्रति जागरूकता बढ़ी।
  3. औद्योगिक क्रांति: औद्योगिक क्रांति ने समाज में बड़े पैमाने पर आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन लाए। लोगों ने अपने स्थानीय उद्योगों और उत्पादों को महत्व देना शुरू किया, जिससे एक साझा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और पहचान का विकास हुआ।
  4. प्राकृतिक सीमाओं और भौगोलिक एकता: कई क्षेत्रों में, भौगोलिक सीमाएँ जैसे पर्वत, नदियाँ, और समुद्र, लोगों को एक साथ लाने में मददगार साबित हुईं। इन प्राकृतिक सीमाओं ने एक क्षेत्र विशेष के लोगों में एकता और राष्ट्रवाद की भावना को प्रोत्साहित किया।
  5. प्रिंटिंग प्रेस और शिक्षा का प्रसार: प्रिंटिंग प्रेस और शिक्षा के प्रसार ने लोगों के बीच विचारों और सूचनाओं का आदान-प्रदान संभव बनाया। साहित्य, अखबार, और पत्रिकाओं ने राष्ट्रीय भावना को प्रोत्साहित किया और लोगों को एक साझा राष्ट्रीय पहचान से जोड़ने में मदद की।
  6. विदेशी शासन के प्रति असंतोष: जिन क्षेत्रों पर विदेशी शक्तियों का शासन था, वहां के लोगों में विदेशी शासन के खिलाफ असंतोष बढ़ता गया। इस असंतोष ने स्वतंत्रता आंदोलनों को जन्म दिया और राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित किया।

राष्ट्रवाद के प्रभाव

  1. राष्ट्रीय एकता का उदय: राष्ट्रवाद के कारण कई देशों में राष्ट्रीय एकता का उदय हुआ। इटली और जर्मनी जैसे देशों में, राष्ट्रवादी आंदोलनों ने छोटे-छोटे राज्यों और रियासतों को एकजुट करके एकीकृत राष्ट्र-राज्य का निर्माण किया।
  2. औपनिवेशिक विरोध और स्वतंत्रता आंदोलनों का प्रसार: राष्ट्रवाद ने एशिया, अफ्रीका, और लैटिन अमेरिका में उपनिवेशवाद के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलनों को प्रेरित किया। भारत, वियतनाम, और अल्जीरिया जैसे देशों में राष्ट्रवाद ने स्वतंत्रता की लड़ाई को दिशा दी।
  3. राजनीतिक और सामाजिक सुधार: राष्ट्रवाद ने राजनीतिक और सामाजिक सुधारों को भी प्रोत्साहित किया। लोकतंत्र, समानता, और नागरिक अधिकारों की मांगें बढ़ीं और कई देशों में इन सुधारों को लागू किया गया।
  4. संघर्ष और युद्ध: राष्ट्रवाद ने संघर्ष और युद्ध को भी जन्म दिया। यूरोप में, राष्ट्रवादी भावना ने कई युद्धों को प्रेरित किया, जैसे फ्रांको-प्रशियन युद्ध, जो जर्मनी के एकीकरण का कारण बना। इसके अलावा, बाल्कन क्षेत्र में राष्ट्रवादी आंदोलनों ने तनाव और संघर्ष को बढ़ावा दिया।
  5. वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में परिवर्तन: राष्ट्रवाद के कारण यूरोप और दुनिया के अन्य हिस्सों में शक्तियों का संतुलन बदल गया। राष्ट्रवादी आंदोलनों ने पुराने साम्राज्यों को कमजोर किया और नए राष्ट्र-राज्यों का उदय हुआ।
  6. संस्कृति और भाषा का उत्थान: राष्ट्रवाद ने स्थानीय भाषाओं और संस्कृतियों को पुनर्जीवित किया। लोगों ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर, भाषा, और परंपराओं को महत्व देना शुरू किया, जिससे राष्ट्रीय पहचान मजबूत हुई।

सारांश

राष्ट्रवाद का उदय एक व्यापक और जटिल प्रक्रिया थी, जिसने दुनिया के राजनीतिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक ढांचे को बदल दिया। इसके परिणामस्वरूप नए राष्ट्र-राज्यों का गठन हुआ, स्वतंत्रता आंदोलनों को प्रोत्साहन मिला, और एक नए प्रकार की राष्ट्रीय पहचान का विकास हुआ। राष्ट्रवाद के कारण हुए प्रभावों ने आधुनिक इतिहास को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

जुलाई 1830 की क्रांति का विवरण दें।

जुलाई 1830 की क्रांति, जिसे "जुलाई क्रांति" (July Revolution) या "फ्रांसीसी जुलाई क्रांति" के नाम से भी जाना जाता है, फ्रांस में 26 जुलाई से 29 जुलाई 1830 के बीच हुई एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक विद्रोह थी। यह क्रांति किंग चार्ल्स X के निरंकुश शासन के खिलाफ एक व्यापक जनविद्रोह के रूप में उभरी और इसका परिणाम बोरबॉन राजवंश के पतन और "जुलाई राजशाही" (July Monarchy) की स्थापना में हुआ।

जुलाई 1830 की क्रांति के कारण

  1. चार्ल्स X की निरंकुश नीतियाँ: चार्ल्स X, जो 1824 में फ्रांस का राजा बना, ने राजशाही को पुनः स्थापित करने के लिए निरंकुश नीतियाँ अपनाईं। उन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता को सीमित किया, मताधिकार को कम किया, और पुरानी सामंती व्यवस्थाओं को पुनः लागू करने का प्रयास किया। इन नीतियों से जनता में व्यापक असंतोष फैल गया।
  2. चार्ल्स X के आदेश (Ordinances): 26 जुलाई 1830 को चार्ल्स X ने चार प्रमुख आदेश (चार्ल्स के आदेश) जारी किए, जिनमें प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध, मताधिकार का सीमितरण, और नई चुनाव प्रणाली को लागू करना शामिल था। ये आदेश जनता और उदारवादी विपक्ष के लिए अस्वीकार्य थे और क्रांति का तात्कालिक कारण बने।
  3. आर्थिक संकट और बेरोजगारी: उस समय फ्रांस गंभीर आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा था। कृषि और उद्योग में मंदी, बेरोजगारी, और भोजन की कीमतों में वृद्धि ने जनता की असंतोष की भावना को और भड़काया।

जुलाई 1830 की क्रांति की घटनाएँ

  1. जनता का विद्रोह: 27 जुलाई 1830 को पेरिस की सड़कों पर लोग चार्ल्स X के आदेशों के खिलाफ विद्रोह करने लगे। प्रेस के कर्मचारियों, छात्रों, और श्रमिकों ने इस विद्रोह की अगुवाई की। पेरिस की सड़कों पर बैरिकेड्स बनाए गए, और व्यापक हिंसा का दौर शुरू हो गया।
  2. तीन क्रांतिकारी दिन (Les Trois Glorieuses): 27 जुलाई से 29 जुलाई के बीच, जिसे "तीन गौरवशाली दिन" (Les Trois Glorieuses) के नाम से जाना जाता है, विद्रोहियों और सरकारी बलों के बीच भीषण संघर्ष हुआ। यह संघर्ष अंततः चार्ल्स X की हार के साथ समाप्त हुआ।
  3. चार्ल्स X का निर्वासन: 29 जुलाई को चार्ल्स X ने समझ लिया कि उसकी स्थिति अब सुरक्षित नहीं है और उसने अपनी सेना को पीछे हटने का आदेश दिया। वह जल्द ही फ्रांस छोड़कर इंग्लैंड में निर्वासन के लिए भाग गया।

जुलाई 1830 की क्रांति के परिणाम

  1. बोरबॉन राजवंश का पतन: इस क्रांति ने बोरबॉन राजवंश के शासन का अंत कर दिया। चार्ल्स X का पतन हुआ और उसे निर्वासन में जाना पड़ा।
  2. लुई-फिलिप की "जुलाई राजशाही" की स्थापना: क्रांति के बाद, लुई-फिलिप को "फ्रांसीसी लोगों का राजा" घोषित किया गया, और एक संवैधानिक राजशाही की स्थापना हुई, जिसे "जुलाई राजशाही" (July Monarchy) कहा गया। लुई-फिलिप ने खुद को एक "नागरिक राजा" के रूप में प्रस्तुत किया और उदारवादी सुधारों को लागू करने का वादा किया।
  3. यूरोप पर प्रभाव: जुलाई 1830 की क्रांति का प्रभाव केवल फ्रांस तक सीमित नहीं रहा। इसने यूरोप के अन्य हिस्सों में भी उदारवादी और राष्ट्रवादी आंदोलनों को प्रेरित किया, जैसे कि बेल्जियम, इटली, और पोलैंड में विद्रोह।
  4. प्रेस और राजनीतिक अधिकारों में वृद्धि: क्रांति के परिणामस्वरूप, प्रेस की स्वतंत्रता और राजनीतिक भागीदारी में वृद्धि हुई। नए राजा लुई-फिलिप ने उदारवादी सुधारों की दिशा में कदम उठाए, हालांकि उनका शासन भी अंततः विवादास्पद रहा।

सारांश

जुलाई 1830 की क्रांति ने फ्रांस में निरंकुश राजशाही के अंत को चिह्नित किया और एक संवैधानिक राजशाही की स्थापना की। इसने यूरोप में उदारवाद और राष्ट्रवाद के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आने वाले दशकों में कई अन्य क्रांतियों और विद्रोहों को प्रेरित किया।

यूनानी स्वतंत्रता आंदोलन का संक्षिप्त विवरण दें।

यूनानी स्वतंत्रता आंदोलन (Greek War of Independence) 1821 से 1832 तक चला, जिसमें यूनानियों ने ओटोमन साम्राज्य से अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। यह आंदोलन यूरोप में बढ़ते राष्ट्रवाद और उदारवाद के प्रभाव का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।

यूनानी स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख कारण

  1. ओटोमन साम्राज्य का दमनकारी शासन: यूनानियों पर ओटोमन साम्राज्य का शासन लगभग चार शताब्दियों तक रहा। ओटोमन शासन के दौरान यूनानियों को धार्मिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक स्वतंत्रता से वंचित रखा गया, जिससे उनमें असंतोष बढ़ता गया।
  2. ाष्ट्रीयता और स्वतंत्रता की भावना: 18वीं और 19वीं शताब्दी में यूरोप में राष्ट्रवाद और उदारवादी विचारधारा का प्रसार हुआ। इसने यूनानियों में भी राष्ट्रीयता और स्वतंत्रता की भावना को प्रोत्साहित किया।
  3. यूरोप से समर्थन: यूरोप के कई देशों, विशेषकर ब्रिटेन, फ्रांस, और रूस, ने यूनानियों के स्वतंत्रता संघर्ष को समर्थन दिया। यूरोप में भी यूनानी संस्कृति और इतिहास के प्रति सम्मान था, जिसे फिलहेलनिज़्म (Philhellenism) के रूप में जाना जाता है।

आंदोलन की प्रमुख घटनाएँ

  1. 1821 में विद्रोह की शुरुआत: 25 मार्च 1821 को यूनानियों ने ओटोमन शासन के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत की। इस दिन को अब यूनानी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  2. प्रारंभिक संघर्ष: प्रारंभ में विद्रोहियों ने कुछ सफलताएँ प्राप्त कीं, लेकिन ओटोमन साम्राज्य की मजबूत सेना के खिलाफ संघर्ष कठिन था। फिर भी, यूनानी स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने संघर्ष को जारी रखा।
  3. यूरोप का हस्तक्षेप: 1827 में, ब्रिटेन, फ्रांस, और रूस ने यूनानियों की मदद के लिए नौसैनिक हस्तक्षेप किया। नवारीनो की लड़ाई (Battle of Navarino) में ओटोमन नौसेना की हार के बाद, यूनानियों के लिए स्वतंत्रता की संभावना बढ़ गई।
  4. लंदन की संधि (1832): यूरोपीय शक्तियों के हस्तक्षेप और बातचीत के बाद, 1832 में लंदन की संधि पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी गई। ओटोमन साम्राज्य ने इस संधि को मान लिया, और यूनानियों ने अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की।

यूनानी स्वतंत्रता आंदोलन के परिणाम

  1. स्वतंत्र यूनान की स्थापना: 1832 में, यूनान को एक स्वतंत्र और संप्रभु राज्य के रूप में स्थापित किया गया। यूनानियों ने ओटोमन साम्राज्य के शासन से अपनी स्वतंत्रता हासिल की।
  2. ाष्ट्रवाद का प्रसार: यूनानी स्वतंत्रता आंदोलन ने यूरोप में राष्ट्रवादी आंदोलनों को प्रेरित किया। इसे एक प्रतीक के रूप में देखा गया कि किस प्रकार एक राष्ट्र अपने सांस्कृतिक और राष्ट्रीय अधिकारों के लिए संघर्ष कर सकता है।
  3. यूरोप में कूटनीतिक संतुलन: यूनानी स्वतंत्रता ने यूरोपीय शक्तियों के बीच कूटनीतिक संतुलन को भी प्रभावित किया। यह संघर्ष उस समय के यूरोपीय भू-राजनीतिक संतुलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।

सारांश

यूनानी स्वतंत्रता आंदोलन एक लंबा और संघर्षपूर्ण संघर्ष था, जिसने यूनान को ओटोमन साम्राज्य के शासन से स्वतंत्र किया। इस आंदोलन ने यूरोप में राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता की भावना को मजबूत किया और एक स्वतंत्र यूनानी राज्य की स्थापना की नींव रखी।

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